Thursday, December 16, 2010

कोई आरज़ू नहीं है, कोई मु़द्दा नहीं है, तेरा ग़म रहे सलामत, मेरे दिल में क्या नहीं है । कहां जाम-ए-ग़म की तल्ख़ी, कहां ज़िन्दगी का रोना, मुझे वो दवा मिली है, जो निरी दवा नहीं है । तू बचाए लाख दामन, मेरा फिर भी है ये दावा, तेरे दिल में मैं ही मैं हंू, कोई दूसरा नहीं है । तुम्हें कह दिया सितमगर, ये कुसूर था ज़बां का, मुझे तुम मुआफ़ कर दो, मेरा दिल बुरा नहीं है । मुझे दोस्त कहने वाले, ज़रा दोस्ती निभा ले, ये मताल्बा है हक़ का, कोई इल्तिजा नहीं है । ये उदास-उदास चेहरे, ये हसीं-हसीं तबस्सुम, तेरी अंजुमन में शायद, कोई आईना नहीं है

कोई आरज़ू नहीं है, कोई मु़द्दा नहीं है,
तेरा ग़म रहे सलामत, मेरे दिल में क्या नहीं है ।

कहां जाम-ए-ग़म की तल्ख़ी, कहां ज़िन्दगी का रोना,
मुझे वो दवा मिली है, जो निरी दवा नहीं है ।

तू बचाए लाख दामन, मेरा फिर भी है ये दावा,
तेरे दिल में मैं ही मैं हंू, कोई दूसरा नहीं है ।

तुम्हें कह दिया सितमगर, ये कुसूर था ज़बां का,
मुझे तुम मुआफ़ कर दो, मेरा दिल बुरा नहीं है ।

मुझे दोस्त कहने वाले, ज़रा दोस्ती निभा ले,
ये मताल्बा है हक़ का, कोई इल्तिजा नहीं है ।

ये उदास-उदास चेहरे, ये हसीं-हसीं तबस्सुम,
तेरी अंजुमन में शायद, कोई आईना नहीं है 

2 comments:

  1. आपका यह पोस्ट अच्छा लगा । । मेरे नए पोस्ट "हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  2. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।

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