Wednesday, December 1, 2010

KAVITA

यूं तो गुज़र रहा है हर एक पल ख़ुशी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है कयु ज़िन्दगी के साथ
रिश्ते वफ़ा दोस्ती सब कुछ तो पास है
कया बात है पता नहीं दिल कयु उदास है
हर लम्हा है नमी हसीं दिलकशी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है कयु ज़िन्दगी के साथ
चाहत भी है सुकून भी है दिलबरी भी है
आँखों में खवाब भी है लबो पे हंसी भी है
दिल को नहीं है कोई शिकायत किसी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है कयु ज़िन्दगी के साथ
सोचा था जेसा वेसा ही जीवन तो है मगर
अब और किस तलाश मैं बेचेन है नज़र
कुदरत तो मेहरबान है दरियादिली के साथ
फिर भी कोई कमी सी है कयु ज़िन्दगी के साथ...


मै कौन हूँ...??
इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ.
सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ.
जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन".
जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.
दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा.
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ.
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे.
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ.

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